प्रथम पूजनीय श्री गणेश जी को विनायक, विघ्नेश्वर, गणपति, लंबोदर के नाम से भी जाना जाता हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार किसी भी कार्य से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। गणेश जी की पूजा-साधना के लिए कुछ मंत्र निम्न हैं
भगवान गणेश जी के मंत्र
किसी भी कार्य के प्रारंभ में गणेश जी को इस मंत्र से प्रसन्न करना चाहिए:
ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
गणेश जी को प्रसन्न करने का एक मंत्र निम्न भी है:
ऊँ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥
इस मंत्र के द्वारा प्रातः काल भगवान श्री गणेश जी का स्मरण करना चाहिए-
प्रातर्नमामिचतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम् ।
तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयोः शिवाय ॥
भगवान गणेश की पूजा
श्री गणेश बीज मंत्र
॥ ऊँ गं गणपतये नमः ॥
मंगल विधान और विघ्नों के नाश के लिए गणेश जी के इस मंत्र का जाप करें
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित्
परमं धामं, परमं ब्रह्म परेशं परमेश्वरं
विघ्ननिघ्नं करं शांतं पुष्टं कांतमनंतकम
सुरा सुरेंद्रे सिद्धेन्द्रे स्तुतं स्तोमि परात्परम
सुर पद्म दिनेशं च गणेशं मंगलाय नम:
इदं स्तोत्रं महापुण्यं विघ्नशोक हरं परम
यह पठेत् प्रातरुत्थाय सर्व विघ्नात् प्रमुच्यते
इस मंत्र के द्वारा भगवान गणेश को दीप दर्शन कराना चाहिए
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम्
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने
त्राहि मां निरयाद् घोरद्दीपज्योत
भगवान गणपति की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें सिन्दूर अर्पण करना चाहिए
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्
इस मंत्र के द्वारा भगवान गणेश को नैवेद्य समर्पण करना चाहिए
नैवेद्यं गृह्यतां देव भक्तिं मे ह्यचलां कुरू
ईप्सितं मे वरं देहि परत्र च परां गरतिम्
शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च ।
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद
भगवान गणेश की पूजा करते समय इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें पुष्प-माला समर्पण करना चाहिए
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो
मयाहृतानि पुष्पाणि गृह्यन्तां पूजनाय भोः
पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा भगवान गजानन श्री गणेश को आसन समर्पण करना चाहिए
नि षु सीड गणपते गणेषु त्वामाहुर्विप्रतमं कवीनाम्
न ऋते त्वत् क्रियते किंचनारे महामर्कं मघवन्चित्रमर्च
गणेश पूजा के उपरान्त इस मंत्र के द्वारा भगवान् भालचंद्र को प्रणाम करना चाहिए
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय ।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ॥
विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करते समय इस मंत्र के द्वारा उनका आवाहन करना चाहिए
गणानां त्वा गणपतिं हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपतिं हवामहे ।
निधीनां त्वा निधिपतिं हवामहे वसो मम आहमजानि
गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम् ॥
गणपति पूजन के समय इस मंत्र से भगवान गणेश जी का ध्यान करना चाहिए
खर्व स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरं
प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम
दंताघातविदारितारिरूधिरैः सिन्दूरशोभाकरं वन्दे शलसुतासुतं
गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम्