श्री कृष्ण जी के मंत्र

मान्यता है कि विष्णु जी पूर्णावतार भगवान कृष्ण की विधिपूर्वक अराधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्री कृष्णजी को देवकीनंदन, वासुदेव, बालगोपाल के नाम से भी जाना जाता है।

भगवान श्री कृष्ण की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें नारियल फल समर्पण करना चाहिए-

इदं फ़लं मया देव स्थापित पुर-तस्तव ।

तेन मे सफ़लानत्ति भरवेजन्मनि जन्मनि ॥

इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान श्री कृष्ण को पान-बीड़ा समर्पण करना चाहिए-

ॐ पूंगीफ़लं महादिव्यं नागवल्ली दलैर्युतम् ।

एला-चूर्णादि संयुक्तं ताम्बुलं प्रतिगृहयन्ताम् ॥

इस मंत्र को पढ़ते हुए बाल गोपाल भगवान श्री कृष्ण को चन्दन अर्पण करना चाहिए-

ॐ श्रीखण्ड-चन्दनं दिव्यं गंधाढ़्यं सुमनोहरम् ।

विलेपन श्री कृष्ण चन्दनं प्रतिगृहयन्ताम् ॥

श्री कृष्ण की पूजा करते समय इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें सुगन्धित धूप अर्पण करना चाहिए-

वनस्पति रसोद भूतो गन्धाढ़्यो गन्ध उत्तमः ।

आघ्रेयः सर्व देवानां धूपोढ़्यं प्रतिगृहयन्ताम् ॥

इस मंत्र के द्वारा नंदलाल भगवान श्री कृष्ण को यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिए-

नव-भिस्तन्तु-भिर्यक्तं त्रिगुणं देवता मयम् ।

उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः ॥

भगवान देवकी नंदन की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए श्री कृष्ण जी को वस्त्र समर्पण करना चाहिए-

शति-वातोष्ण-सन्त्राणं लज्जाया रक्षणं परम् ।

देहा-लंकारणं वस्त्रमतः शान्ति प्रयच्छ में ॥

श्री कृष्ण पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए बाल गोपाल को शहद स्नान करना चाहिए-

पुष्प रेणु समुद-भूतं सुस्वाद मधुरं मधु ॥

तेज-पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृहयन्ताम् ॥

भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते समय इस मंत्र के द्वारा उन्हें अर्घ्य समर्पण करना चाहिए-

ॐ पालनकर्ता नमस्ते-स्तु गृहाण करूणाकरः ॥

अर्घ्य च फ़लं संयुक्तं गन्धमाल्या-क्षतैयुतम् ॥

भगवान श्री कृष्ण के पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें आसन समर्पण करना चाहिए-

ॐ विचित्र रत्न-खचितं दिव्या-स्तरण-सन्युक्तम् ।

स्वर्ण-सिन्हासन चारू गृहिश्व भगवन् कृष्ण पूजितः ॥

इस मंत्र के द्वारा भगवान श्री कृष्ण का आवाहन करना चाहिए-

ॐ सहस्त्र शीर्षाः पुरुषः सहस्त्राक्षः सहस्त्र-पातस-भूमिग्वं सव्वेत-सत्पुत्वायतिष्ठ दर्शागुलाम् ।

आगच्छ श्री कृष्ण देवः स्थाने-चात्र सिथरो भव ॥

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