योगिनी एकादशी व्रत कथा

योगिनी एकादशी व्रत कथा

योगिनी एकादशी व्रत का महत्त्व सम्पूर्ण ब्रह्मांड में प्रसिद्ध है । इस व्रत को नियमपूर्वक करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है

तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है । योगिनी एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को एक दिन पहले यानि दशमी के दिन से ही व्रत नियमों का पालन करना चाहिए ।

यह व्रत दशमी की रात से शुरू होकर द्वादशी की सुबह में पूजा व दान के बाद पूर्ण होता है । योगिनी एकादशी वाले दिन स्नानादि के बाद, व्रत संकल्प लिया जाता है ।

स्नान के लिए मिट्टी या तिल के लेप का प्रयोग करना शुभ माना जाता है । स्नान के बाद कुम्भ स्थापित करने का विधान है,

जिसके ऊपर भगवान विष्णु की मूर्ति रखकर धूप, दीप आदि से पूजा करनी चाहिए । योगिनी एकादशी व्रत की रात में भगवान विष्णु का जागरण करना चाहिए । पारण यानि द्वादशी के दिन पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन और दान देकर विदा करने के बाद भोजन ग्रहण करना चाहिए ।

योगिनी एकादशी व्रत पूजा विधि

पद्म पुराण के अनुसार योगिनी एकादशी व्रत करने से अट्ठासी हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर का फल मिलता है ।

जो व्यक्ति इस व्रत को नियम- पूर्वक पूर्ण करता है, उसे श्रेष्ठ फल मिलता है ।

योगिनी एकादशी व्रत कथा सुनने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है और भगवान विष्णु का धाम प्राप्त करता है ।

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