केतु

पौराणिक मन्त्र

ॐ पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम् ।

रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् ॥

वेद मन्त्र

ऊँ केतुं कृण्वन्नकेतवे

पेशो मर्या अपनयशसे ।

समुषद्भिरजायथाः ॥

ऊँ केतवे नमः ॥

बीज मंत्र

ऊँ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः ॥

जप संख्या – 17000

समय – रात्रिकाल

केतु की अनुकूलता के लिए उपाय

1. किसी युवा व्यक्ति को केतु कपिला गाय, दुरंगा, कंबल, केतु से सम्बन्धित लहसुनिया रत्न का दान, लोहा, तिल, लोहे के बने हथियार, तेल, सप्तधान्य शस्त्र, बकरा, नारियल, उड़द , भूरे रंग की वस्तु आदि का दान करने से केतु ग्रह की शांति होती है । ज्योतिषशास्त्र इसे अशुभ ग्रह मानता है अत: जिनकी कुण्डली में केतु की दशा चलती है उसे अशुभ परिणाम प्राप्त होते हैं । इसकी दशा होने पर शांति हेतु जो उपाय आप कर सकते हैं उनमें दान का स्थान प्रथम है ।

2. ज्योतिषशास्त्र कहता है केतु से पीड़ित व्यक्ति को बकरे का दान करना चाहिए ।

3. अगर केतु की दशा का फल संतान को भुगतना पड़ रहा है तो मंदिर में कम्बल का दान करना चाहिए ।

4. केतु की दशा को शांत करने के लिए व्रत भी काफी लाभप्रद होता है । शनिवार, सोमवार एवं मंगलवार के दिन व्रत रखने से केतु की दशा शांत होती है । भगवान शिव का पूजन करें ।

5. कुत्ते को आहार दें एवं ब्राह्मणों को भात खिलायें इससे भी केतु की दशा शांत होगी ।

6. किसी को अपने मन की बात नहीं बताएं एवं बुजुर्गों एवं संतों की सेवा करें यह केतु की दशा में राहत प्रदान करता है ।

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