शुक्र

पौराणिक मन्त्र

ॐ हिमकुन्द मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूम् ।

सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् ॥

वेद मन्त्र

ऊँ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं

पयः सोमं प्रजापतिः ।

ऋतेन सत्यम् इन्द्रियं विपान शुक्रमन्धस

इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु ॥

ऊँ शुक्राय नमः ॥

बीज मंत्र

ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः ॥

जप संख्या – 16000

समय – सूर्योदय काल

ग्रह पूजा मंत्र

ऊँ ह्रीं श्री शुक्राय नमः ॥

यह मंत्र बोलते हुए शुक्र प्रतिमा अथवा यंत्र का पूजन करें ।

शुक्र की अनुकूलता के लिए उपाय

1. शुक्र ग्रहों में सबसे चमकीला है और प्रेम का प्रतीक है। इस ग्रह के पीड़ित होने पर आपको ग्रह शांति हेतु सफेद रंग का घोड़ा दान देना चाहिए ।

2. गौ पूजा और रंगीन वस्त्र, रेशमी कपड़े, घी, चांदी, सोना, चावल, सुगंध, चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूर का दान शुक्र ग्रह की विपरीत दशा में सुधार लाता है ।

3. शुक्र से सम्बन्धित रत्न का दान भी लाभप्रद होता है। इन वस्तुओं का दान शुक्रवार के दिन संध्या काल में किसी युवती को देना उत्तम रहता है ।

4. शुक्र ग्रह से सम्बन्धित क्षेत्र में आपको परेशानी आ रही है तो इसके लिए आप शुक्रवार के दिन व्रत रखें। मिठाईयां एवं खीर कौओं और गरीबों को दें। ब्राह्मणों एवं गरीबों को घी भात खिलाएं। अपने भोजन में से एक हिस्सा निकालकर गाय को खिलाएं ।

5. काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए ।

6. शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए ।

7. किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए ।

8. किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय १० वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए ।

9. अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए ।

10. किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए ।

11. शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए ।

शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपायों हेतु शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं ।

क्या न करें

शुक्र से सम्बन्धित वस्तुओं जैसे सुगंध, घी और सुगंधित तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए । वस्त्रों के चुनाव में अधिक विचार नहीं करें ।

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