राधाष्टमी – राधा रानी का अवतरण दिवस

राधा अष्टमी राधा रानी के अवतरण दिवस के रूप में मनाई जाती है, जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। राधा रानी को भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य प्रेमिका के रूप में जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राधा रानी का जन्म कमल के फूल से हुआ था, और भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजा जाता है।

यह पर्व विशेष रूप से उन भक्तों द्वारा मनाया जाता है जो भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, राधाष्टमी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भक्त बरसाना की पहाड़ी पर स्थित पवित्र स्थल गहवर वन की परिक्रमा करते हैं और राधा रानी की आराधना करते हैं।

गौड़ीय वैष्णव परंपरा

गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित होता है। इस संप्रदाय की मान्यताएँ चैतन्य महाप्रभु के उपदेशों पर आधारित होती हैं, जो श्रीमद्भागवत और भगवद गीता के पाठ पर विशेष जोर देते हैं। गौड़ीय वैष्णव इस दिन आधे दिन का उपवास रखते हैं और कई भक्त कठोर उपवास भी करते हैं, जिसमें वे बिना पानी के व्रत रखते हैं।

ब्रज क्षेत्र में विशेष उत्सव

राधाष्टमी का मुख्य उत्सव ब्रज क्षेत्र, विशेषकर बरसाना, मथुरा, वृंदावन, और नंदगांव में मनाया जाता है। इस दिन राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण के विग्रहों को फूलों से सजाया जाता है। राधाष्टमी का एक खास आकर्षण यह होता है कि इस दिन भक्त राधा रानी के चरणों के दर्शन करते हैं, जो बाकी दिनों में ढके रहते हैं।

राधा कुंड में स्नान

राधाष्टमी के दिन, भक्त बरसाना के पवित्र राधा कुंड में स्नान करने का विशेष महत्व मानते हैं। यह स्नान आमतौर पर प्रतिबंधित होता है, लेकिन इस दिन भक्त मध्यरात्रि तक पंक्तियों में खड़े रहते हैं ताकि वे इस पवित्र जल में डुबकी लगाकर राधा रानी और श्रीकृष्ण के दिव्य प्रेम का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

अनुष्ठान और उपवास

राधाष्टमी पर भक्तगण राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, रास लीला और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। भक्त अपने आराध्य की कृपा प्राप्त करने के लिए राधा गायत्री मंत्र का पाठ भी करते हैं। कुछ भक्त इस दिन सख्त उपवास का पालन करते हैं, जिसमें वे पूरे दिन बिना जल ग्रहण किए व्रत करते हैं। राधाष्टमी श्रीकृष्ण और राधा रानी के दिव्य प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है और यह उत्सव निःस्वार्थ प्रेम का संदेश देता है।

प्रमुख तिथियाँ और नाम

  • संबंधित नाम: राधा जयंती
  • तिथि: भाद्रपद शुक्ल अष्टमी
  • उद्देश्य: राधा रानी का अवतरण दिवस
  • उत्सव विधि: रास लीला, श्री राधा-कृष्ण मंदिर में पूजा, उपवास, और राधा कुंड में स्नान

राधाष्टमी, जन्माष्टमी के 15 दिनों बाद मनाया जाता है, जो भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्रेम के अनंत और दिव्य बंधन का उत्सव है।

You cannot copy content of this page