श्री अम्बाजी शक्तिपीठ

अम्बाजी शक्तिपीठ

गुजरात शक्ति-साधना का अनुपम केन्द्र है। यहाँ हलवद के पास सुंदरी, कच्छ में आशापुर, बदवाण में बुटामाता, द्वारका में अभयमाता, नर्मदा तट पर अनसूया, घोघा के पास खोड्यार माता आदि अनेक रूपों में शक्ति की उपासना होती है। पुराने जूनागढ़ के गिरनार पर्वत के प्रथम शिखर पर देवी अम्बिका का भव्य-विशाल मंदिर है। कहते हैं पार्वती यहीं निवास करती हैं। अम्बिका (अम्बाजी) के इस मंदिर को शक्तिपीठ मानते हैं। पर्वत की चढ़ाई काफ़ी ऊँची हैं। सहस्त्रों सीढ़ियाँ पार करने पर तीन शिकरों की यात्रा होती है। इन शिखरों पर क्रमश: अम्बादेवी, योगाचार्य गोरखनाथ तथा दत्तात्रेय के स्थान हैं।

मान्यता

अम्बादेवी की विशाल मूर्ति इस वन प्रदेश में उग्र प्रतीत होती है। इसी पर्वत की एक गुफा में काली जी की मूर्ति है। यहाँ सती का ‘उदर भाग’ गिरा था। यहाँ की शक्ति ‘चन्द्रभागा’ तथा शिव ‘वक्रतुण्ड’ हैं। ऐसी भी मान्यता है कि गिरनार पर्वत के निकट ही सती का ‘ऊर्ध्वओष्ठ’ गिरा था, जो भैरव शक्तिपीठ के नाम से विख्यात है, जहाँ की शक्ति ‘अवंती’ तथा शिव ‘लंबकर्ण’ हैं। गुजरात के ब्राह्मण विवाह के बाद वर-वधू को यहाँ देवी का चरणस्पर्श कराने के लिए लेकर आते हैं। पश्चिमी रेलवे के राजकोट से दक्षिण पश्चिम जूनागढ़ स्थित है। जूनागढ़ के आगे पश्चिम में सोमनाथ पड़ता है।

इतिहास

अम्बाजी मन्दिर हिन्दुओं की ५१ शक्ति-पीठों में से एक है। देवी की ५१ शक्तिपीठों में से १२ प्रमुख शक्ति पीठ इस प्रकार से हैं:- मां भगवती महाकाली मां शक्ति, उज्जैन, माँ कामाक्षी, कांचीपुरम, माता ब्रह्मरंध्र, श्रीशैलम में, श्री कुमारिका, कन्याकुमारी,महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर, देवी ललिता, प्रयाग, विन्ध्यवासिनी देवी, विन्ध्याचल, विशालाक्षी, वाराणसी, मंगलावती, गया एवं मां सुंदरी, बंगाल में तथा गुह्येश्वरी नेपाल में। गब्बर पर्वत गुजरात एवं राजस्थान की सीमा पर स्थित है। यहां पर पवित्र गुप्त नदी सरस्वती का उद्गम अरासुर पहाड़ी पर प्राचीन पर्वतमाला अरावली के दक्षिण-पश्चिम में समुद्र सतह से 1,600-फुट (490 मी.) की ऊंचाई पर 8.33 कि.मी.२ (3.22 वर्ग मील) क्षेत्रफ़ल में अम्बाजी शक्तिपीठ स्थित है। यह ५१ शक्तिपीठों में से एक है जहां मां सती का हृदय गिरा था। इसका उल्लेख “तंत्र चूड़ामणि” में भी मिलता है। इस गब्बर पर्वत के शिखर पर देवी का एक छोटा मंदिर स्थित है जिसकी पश्चिमी छोर पर दीवार बनी है। यहां नीचे से ९९९ सीढ़ियों के जीने से पहाड़ी पर चढ़कर पहुंचा जा सकता है। माता श्री अरासुरी अम्बिका के निज मंदिर में श्री बीजयंत्र के सामने एक पवित्र ज्योति अटूट प्रज्ज्वलित रहती है।

इसके अलावा गब्बर पर्वत पर अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं, जैसे सनसेट प्वाइंट, गुफ़ाएं, माताजी के झूले एवं रज्जुमार्ग का सास्ता। हाल की खोज से ज्ञात हुआ है कि अम्बाजी के इस मन्दिर का निर्माण वल्लभी शासक, सूर्यवंश सम्राट अरुण सेन ने चौथी शताब्दी, ईसवी में करवाया था।

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